यह उपन्यास एक दस्तावेज़ है नारी के संघर्षों का। पूरा जीवन अपने घर की खोज का। कौन–सा और किसका घर अपना है। मां का या सास का ..... जीवन के अंतिम पड़ाव पर पता चलता है कि न ही मां का मायका और न ही सास का ससुराल दोनों ही उसके अपने नहीं हैं क्योंकि..... ???
इसका उत्तर पता करना है तो ज़रूर पढ़ें निरुपमा को ।
जीवन और जीव की सच्चाई को जानने के लिए 150 पृष्ठ का सैलाब समेटे और जानें अपने ही खून के रिश्तों की सच्चाई।
आपको आपकी अपनी ही कहानी लगेगी।
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