Friday, 14 November 2025

अब और नहीं आतंकवाद (दोहे)

 अब और नहीं आतंकवाद (दोहे)

अब और नहीं आतंक यह, अब शांति का हो नाद।
मानवता के पथ चलें सब, मिटे विभाजन-वाद॥

घृणा जले, आतंक मिटे, जग में फैले प्रेम।
मानवता के दीप से, उजियारा ले नेम॥

रक्तरंजित राह पर, अब चलना है बंद।
शांतितंत्री जग बने, मानव हो अनुबंध॥

नफ़रत का अवसान हो, उगें करूणा-प्राण।
धरती मां मुस्काए फिर, मिले स्नेह सम्मान॥

हिंसा रूठे, प्रेम फूटे, हो जीवन आनंद।
अब और नहीं दहशतें, विश्व जगे भवबन्ध॥

✍️ लेखनाधिकार सुरक्षित: डॉ. नीरू मोहन

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