आकाश एक बात बताओ
हा हा पूछो सौम्या
आज तो मैं तुम्हारे सारे सवालों के जवाब दूंगा ।
कभी-कभी तो मुझे भी मौका मिलना चाहिए न
आकाश…तुम कभी मेरी बात के लिए सीरियस होगे या नहीं
अच्छा बोलो
आकाश एक बात बताओ…
घड़ी की सुइयां वही, घड़ी वही,
समय वही, सूरज, चांद, तारे वही
दिन और रात भी वैसे ही
फिर साल नया क्यों भई ?
मुझे आज तक यह समझ नहीं आया
हम सब वही हैं … सिर्फ 12 महीने 365 दिन समाप्त
तो चलो नया साल मनाओ
तुम सही कह रही हो सौम्या इसलिए तुम्हारी रोटी कभी गोल नहीं बनती क्योंकि उसमें भी तो गणित ही लगाना पड़ता है न
आकाश…
क्या आकाश छोड़ो न नए साल पर हम भी कुछ नया करते हैं । चलो आज ये तकरार यहीं छोड़ते हैं और नए जोड़ों को एक मधुर संगीत सुनाते हैं और हम भी खो जाते हैं अपने ख्वाबों की दुनिया में
गाना शुरू होता है
सौम्या… सौम्या कहां हो यार
सो गईं या खो गईं
आकाश बस तुम भी न…
मैं नहीं दिखाई दूं तो बस बेसबरे हुए जाते हो
क्या है ? बोलो
कुछ नहीं सौम्या
बस गाना सुनकर कुछ याद आ गया ।
आकाश कुछ-कुछ तो मुझे भी याद आया ।
तुम्हें याद है आकाश जब मैं तुमसे रूठ जाती थी तो तुम कैसे मनाते थे
हां यार
सच्ची यार
मनाता था
क्या सच्ची
बताओ तो सही
अरे सौम्या यह भी कभी मैं भूल सकता हूं
तो बताओ तुम मुझे कैसे मनाते थे
सौम्या मैं तुम्हें मनाता था…मनाता था… मनाता था…
हां हां कैसे मनाते थे …
तुम्हारी जली हुई रोटियों की तारीफ़ करके ।
चलो जाओ मैं तुमसे नहीं बोलती ।
बस अब चेलेंज देती हूं
जीत सको तो जीत लो हम नारी शक्ति से
क्यों नारी शक्ति …तैयार हो
अब मैं चलती हूं आप सभी को त…
क्या तबेले में
नहीं आकाश तंबोला खेलाने
क्योंकि मेरी और तुम्हारी नोकझोंक तो खत्म होने वाली नहीं है तो अपने साथ - साथ इन सभी को क्यों बोर किया जाए ।
तंबोला
खेल का परिणाम जो भी रहा
नर से बढ़कर नारी है
नर की नहीं अब चलने वाली है
क्यों सही कहा न…
सौम्या तुम कब से शेरो शायरी करने लगीं ।
बस जब से दिल हारी
किस पर
कौन है वो
वो … वो जो मुझे सताता है
मेरी रोटी को टेढ़ी-मेढ़ी बताता है
जली हुई रोटियां भी खाता है
कुछ-कुछ तुम्हारे जैसा दिखता है
सौम्या तुम मुझे कितना प्यार करती
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