बाग का माली
घर में खुशहाली
हो हरियाली
वन संपदा
प्रकृति सुशोभित
मिले औषधि
वन दोहन
मुरझाई है धरा
जीव बेघर
ये प्रदूषण
हरियाली है नष्ट
श्वास भी कम
वृक्ष बचाओ
चिपको आंदोलन
सफल यत्न
वृक्ष लगाओ
हरियाली फैलाओ
धरा बचाओ
बदले रिश्ते
युग परिवर्तन
कोई न मीत
नाम के रिश्ते
बने सभी अंजान
मिले न साथ
ये रिश्ते नाते
है झूठे आडंबर
बनाएँ बातें
खोखले मन
दोस्त बने दुश्मन
खेलें षड्यंत्र
है काल चक्र
अपने हुए पराए
राह भी वक्र
प्रेम लगन
राम रतन धन
जिया मगन
अनन्त आशा
जीवन क्षणभर
पलटे पासा
मृत्यु है द्वारे
प्राण उड़े पखेरू
मौन हैं शब्द
तपती धरा
वायु में अग्नि वर्षा
खाली है घड़ा
घर के वृद्ध
वट वृक्ष समृद्ध
कार्य हो सिद्ध
मात दिवस
ससुराल के पाश
बेटी विवश
माँ की ममता
अनमोल खज़ाना
बने नसीब
दर्प सच्चाई
मात छवि दिखाई
मैं परछाई
बेटा या बेटी
समानता का भाव
माँ का दुलार 20
मन तरंग
कुहास से किरण
इंद्रधनुष
अंतर्वेदना
संताप से छलनी
है रक्तश्राव
माँ वसुंधरा
हर क्षण तपती
क्यों है मरती ?
भू पर प्राण
असंभव जीवन
कैसे निर्माण
नील गगन
वसुधा का रक्षक
प्राणी भक्षक
माँ का अंक
धरती का आँचल
समता संग
हरित धरा
पर्यावरण नष्ट
मानुष भ्रष्ट
भूमि संपन्न
करो वृक्षारोपण
मिले पोषण
पृथ्वी जननी
रोको ये प्रदूषण
बनो रक्षक
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