देश के नेता
लड़े और लड़ाएँ
विकास बधित
प्रतिभाशाली
प्रतिभाओं का अब
पलायन क्यों …?
चोट का वार
दर्द का एहसास
बढ़े संताप
स्वदेश प्रेम
तूफान-ए-कहर
कर्तव्य पथ
नारी जीवन
श्रृंगार वरदान
सुंदर मन
सुंदर तन
न कर अभिमान
नहीं शोभन
सुंदर मन
श्रेष्ठ कर्म-विचार
मिले सम्मान
कुरूप माता
है नहीं अभिशाप
नारी महान
नारी का रूप
पुरुषों से पृथक
कोमल काया
है नर लोभी
कली मुरझाती
मसली जाती
उन्हत्तरवाँ
गणतंत्र दिवस
है लोकतंत्र
है संविधान
गौरव पहचान
मोदी का राज
उन्मुक्त नभ
उन्मुक्त हैं विचार
फिर भी पाश
हिंद की भाषा
अपनाओ आज से
पाओगे आशा
नमन मात
अविरल चेतना
रक्त है तात
प्रभुता पाई
अधिकार आधार
कर्तव्य साथ
निखरे देश
धर्म भेद न शेष
चलो सचेत
प्राण अर्पित
न हो अब आघात
पाएँ उजास
गणतंत्र है
मेरे देश का मंत्र
हम स्वतंत्र
है स्वाभिमान
भारत देश महान
विश्व में आज
करो नमन
तिरंगा राष्ट्र ध्वज
अंबेडकर
राजपथ है
फूलों से सुसज्जित
राष्ट्र उत्सव
है गणतंत्र
संविधान दिवस
हिंद का तंत्र
सूरज तात
शीत धरा गगन
व्योम प्रसन्न
प्रसन्नचित्त
रंग-बिरंगा चमन
सब का मन
भांति-भांति की
भाषा हम सबकी
एक वतन
समस्त जग
दिखलाता हमको
एक लोचन
विभिन्न रंग
अतुल्य भारत देश
एक चमन
सुभाष चंद्र
प्राण किए कुर्बान
सच्ची संतान
आज़ाद हिंद
व्यर्थ ना बलिदान
खुला आकाश
सुभाष चंद्र
सुखों की दी कुर्बानी
नहीं गुलामी
महिमा गाता
भारत देश महान
वीर सुभाष
शोले के तले
उत्साही मतवाला
वीर सिपाही
नव पल्लव
वसंत मधुमास
पीली है धरा
नाचे मयूर
हरियाली है छाई
वर्षा है आई
मुस्काई धरा
पीत पल्लव सजा
मनवा हरा
खिला चमन
कलियाँ हैं चटकी
मन मगन
धरा श्रृंगार
पलाश चहुँ ओर
मन बहार
सृष्टि के रंग
भरे नव उमंग
केसरी रंग
नव कोपल
प्रकृति है संपन्न
प्रत्येक पल
नवल रश्मि
है पथ आलोकित
तम हरती
परोपकार
आनंद अनुभूति
दीन उद्घार
जो मियां मिट्ठू
बने अपने आप
आए न काम
आँखों का तारा
माँ-बाप का सहारा
श्रवण प्यारा
कपटी मित्र
आस्तीन का है साँप
देता संताप
टका जवाब
नहीं मन को भाता
भेद बढ़ाता
झाँसी की रानी
अंग्रेज़ भयभीत
नारी सशक्त
सद्व्यवहार
है संतुष्टि दिलाता
मान बढ़ाता
ऐतिहासिक
इमारतें हमारी
हैं धरोहर
मधुर वाणी
औषधि कहलाती
पीड़ा मिटाती
सर्प का डंक
है सदैव विषैला
मृत्यु दे जाए
जो गुणवान
वाणी की श्रेष्ठता
उसके पास
जो गुणहीन
दर-दर भटकता
गति न पाता
है दल-दल
राजनीति दल
दल ही दल
घुन खा जाता
अनाज, आचरण
थोथा कर जाता
कपटी मित्र
विषैला विषधर
छल करता
परमेश्वर
है सृष्टि रचयिता
पालनहार
दर्प का बीज
खुशहाली न लाता
कीर्ति न पाता
गंगा बचाओ
कुछ करो प्रयत्न
अशुद्ध जल
कटु वचन
शमशीर से तेज़
रिश्तों को काटे
है उषाकाल
शिवरात्रि महान
शीर की धार
बेल के पत्ते
कनक का प्रसाद
शिव खास
रंगोली सजी
धरा महक उठी
प्रकृति सजी
गुलाब गेंदा
पितांबर गगन
शुभ बसंत
नवसृजन
ऋतुराज बसंत
मलय संग
चेतन मन
नभ धरा बसंती
बिखरे रंग
स्वर्णिम दृश्य
इंद्रधनुष है छाया
रंगीन नभ
भवरे गुंजन
मनभावन स्वर
पुष्पित मन
अद्भुत त्याग
भारत के शहीद
नमन तुम्हें
भारतीयता
है आन-बान-शान
करो सम्मान
उषा भरती
नवीन अनुराग
नभ विशाल
कोमल देह
हँसे नव चेतन
प्रभात स्नेह
हैं वासुदेव
मुरली मनोहर
लीला सदैव
वीणावादिनी
बुद्धि बल दायिनी
हंसवाहिनी
देवों में देव
दुख हरे सदैव
हैं महादेव
शिक्षा का बोझ
बचपन की मौत
सहता बाल
माया का मोह
इंसान में गर हो
गति कैसे हो
बसंती वात
प्रकृति का श्रृंगार
शीतल रात
विवाह सूत्र
परमात्मा बांधता
जोड़ी सजाता
सात वचन
सात फेरों के संग
सजे जीवन
बेटी पराई
बाबुल की गलियाँ
याद है आईं
मेहंदी पाणि
सजाती है बिटिया
आँख भर आई
सभ्य मानव
असभ्यता दर्शाता
बने दानव
नभ में तारे
झिलमिल चमके
रोशन जग
स्वर्ण चिरैया
था विश्व में भारत
गाए गवैया
अनंत राह
मति होती है भ्रष्ट
अनेक चाह
है भावपूर्ण
हमारी मातृभाषी
हिंदी परिपूर्ण
स्वार्थ मिटाओ
सर्वहित सुखाय
स्वप्न सजाओ
आस ही आशा
जीवन अभिलाषा
जगी उत्कंठा
मेरा ये मन
अभिलाषा जगाता
खुशियाँ लाता
आशा का पंछी
जब पथ न पाता
पंख कटाता
स्वर्णिम नभ
जग उठी लालसा
शांत पिपासा
दर्प दर्पण
अतिकृत उत्कंठा
नष्ट प्रतिष्ठा
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