Friday, 10 November 2017

मुझे भी पढ़ना है

गीदड़ को पढ़ने जाना है
पढ़ लिखकर बाबू बनना है
जंगल का राजा बन करके
शेर की तरह शासन करना है

गधे को गीदड़ की भांति
पढ़कर नाम कमाना है
मगर करें क्या ये अब दोनों
शेर ने राज़ जमाया है

गीदड़ और गधा मिलकर के
शेर के पास गए जब मिलने
पढ़ लिखकर बनना बाबू है
शेर को यही बताया है

शेर गुर्रायाता गरजाता है
गीदड़ गधा सहम हैं जाते
शेर के आगे शीश झुकाते
कहते अब हमें जाना है

पढ़ना लिखना नहीं है करना
भूल यही अब जाना है
शेर का गुस्सा हुआ है शांत
बोला मुझसे मत डरो यार

पढ़ना-लिखना है अच्छी बात
जंगल में ऐलान यह कर दो
पढ़ो-लिखो सब ज्ञान भरो
जंगल को आबाद करो

ज्ञान का दीप जहाँ जलता है
नया उजाला लाता है
तम को हरता रोशन करता
समृद्ध खुशहाल जग हो जाता है

शेर की ऐसी वाणी सुनकर
जंगल के सब प्राणी आते
शीश झुकाते नमन है करते
शेर की जय जयकार हैं करते ।।

No comments:

Post a Comment