विषय भक्ति
गीत
रचनाकार नीरू मोहन
पूजू न मंदिर-मस्जिद को
न माटी के भगवान को भक्ति मेरी सफल तभी जब पूजू माँ के धाम को
धाम मेरा ,मेरा घर है देवतुल्य माँ-बाप हैं सेवा कर मैं उनकी पाऊँ
फल जो फूल समान है
प्रथम गुरु माँ-बाप हैं मेरे
दूजे शिक्षक, अध्यापक भक्ति कर इनकी हो जाऊँ
संस्कारों की खान में
देशभक्त में बना रहूँ देशभक्ति करता रहूँ
देशहित में काम करूँ तम में भी प्रभात करूँ
भ्रष्टाचार मिटाकर में
नये जीवन का संचार करूँ
देश प्रेम के बीज बोऊँ
खलियान में अपना देश करूँ
तभी सफल है मेरी भक्ति
देश का अगर विकास है
चारों ओर है खुशियाली
हर जन के मन में प्यार है ।।।।
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