देखकर बाधा विविध,
बहु विघ्न न घबराना |
रह भरोसे भाग के,
दुख भोग न पछताना |
काम जितना भी हो कठिन,
किंतु कभी न उबलाना |
भीड़ में चंचल बने रहना,
क्रोध तुम न दिखलाना |
यही प्रेरणा और सीख,
मोहन नीरू हैं दे रहीं |
मुश्किल चाहे कोई भी आए,
मनोबल न त्यजना तुम |
बुरे दिन क्षण भर के होते,
मन में रखना अतिरंजना तुम |
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