Thursday, 18 May 2017

***’भ्रष्टाचार’ है एक अभिशाप***रोको इसे, मत फलने दो


*फैला है कैसा भ्रष्टाचार,
पढ़े लिखे हैं यहाँ बेकार,

*अनपढ़ करते देश पर राज़,
ऑफिस दफ्तर या दुकान,
हर तरफ है भ्रष्टाचार|

*नेता करते हैं व्याभिचार,
हर तरफ यहाँ उन्हीं का राज|

*नौकरशाही का है राज,
प्रजातंत्र पर हो रहा प्रहार|

*पढ़े-लिखों का नहीं है मोल,
नेताओं का मच रहा शोर|

*रोको इसे, मत फलने दो,
भ्रष्टाचार को आगे न बढ़ने दो|

*जन-जन की है यही पुकार,
खत्म करो यह भ्रष्टाचार|
खत्म करो यह भ्रष्टाचार|

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