Tuesday, 29 May 2018

****बच्चों पर पढ़ाई और अंकों का दबाव न डालें । ******

कहानी के माध्यम से संदेशयुक्त लेख

****बच्चों पर पढ़ाई और अंकों का दबाव न डालें । ******

पिताजी की इच्छा है कि रोहन दसवीं में कॉमर्स विद् मैथ्स ले ……।

रोहन का दसवीं का परीक्षा परिणाम निकलने वाला है । घर में सन्नाटा छाया हुआ है । नेट पर परिणाम की घोषणा हो चुकी है । रोहन घर आता है । माँ पूछती है… रोहन रिजल्ट कैसा रहा । रोहन कुछ नहीं कहता बस दूसरे कमरे में जाकर लेट जाता है । माँ… रोहन कितने प्रतिशत आए । रोहन चुप…माँ की तरफ देखते हुए, माँ अंग्रेज़ी और गणित में कंपार्टमेंट आई है और बाकी तीनों विषयों में 44 ,56 और 60 अंक आए हैं । माँ भोचक्की रह जाती है । रोहन… तुम्हारे पिताजी को कैसे बताएँगे । उनको यह बात कैसे कहेंगे । वह बहुत नाराज़ हो जाएँगे ।

रोहन… माँ मैंने तो मेहनत की थी, पढ़ाई भी पूरी की थी मगर माँ मुझे माफ़ कर दो, मैं पिताजी का और आपका सपना पूरा नहीं कर पाया । पापा ने तो सिर्फ 60% अंक चाहे थे । क्या करूँ ? मुझे कुछ नहीं समझ आ रहा । रोहन तू चिंता मत कर मैं तेरे पापा से बात करूँगी । मगर उनका गुस्सा… यह कहते हुए माँ कमरे से बाहर आ जाती है । रोहन कमरे में अकेला…पापा का चेहरा बार-बार उसके सामने आने लगता है उसका मनोबल टूटने लगता है उसे लगता है दसवीं में फेल होकर मानो उसने बहुत गुनाह कर दिया है उसने अपना जीवन अंधकारमय नज़र आने लगता है । रोहन सोचता है सभी दोस्त पास हो गए हैं अगली कक्षा में चले जाएँगे । रोहन को अपने बारे में सोचकर शर्मिंदगी का एहसास होता है सभी उसे और उसके माता-पिता को ताने देंगे यह सोचकर घर से बाहर निकलता है । सोचते-सोचते घर के नज़दीक रेल लाईन तक पहुँच जाता है । ट्रेन सामने से आ रही है । रोहन को कुछ नहीं सूझता… रेल के सामने आ जान गँवा देता है । नादानी में इतना बड़ा फैसला लेकर पलभर में ले लेना और माँ-बाप को विलाप करने के लिए पूरी उम्र छोड़ देना ।

क्या उसका यह फैसला और उसकी सोच सही थी ?
नहीं, अपने जीवन का अंत करना सही हो ही नहीं सकता । समस्या का हल निकाला जा सकता है एक बार फेल या कम अंक प्राप्त करने से जीवन खत्म नहीं हो जाता । रोहन को पुनः प्रयास करना चाहिए था । अपने माता-पिता से बात करनी चाहिए थी । कोई भी माता-पिता इतना कठोर नहीं होता कि वह विपद परिस्थितियों में अपने बच्चों का साथ न दे या उसे अकेला छोड़ दें ।

इस कहानी के माध्यम से मैं उन बच्चों को जो ऐसे समय में हिम्मत हार जाते हैं और अपने बेशकीमती जिंदगी का अंत कर देते हैं यही कहना चाहूँगी कि अगर एक बार फेल हो गए हैं तो दोबारा परीक्षा देकर अच्छा परिणाम प्राप्त किया जा सकता है परंतु जो जिंदगी ईश्वर नेे हमें तोहफ़े के रूर में भेट की है उसका अंत करके उसे दोबारा नहीं पाया जा सकता ऐसे समय पर अपना हौंसला न हारे और अपने माता-पिता के समक्ष अपनी स्थिति को रखें हर समस्या का हल बात करने से निकलता है जान देने से नहीं ।

दूसरी और मैं बच्चों के अभिभावकों को भी यही संदेश देना चाहूँगी कि अपने बच्चों पर पढ़ाई का इतना दबाव न डालें कि वह ऐसी सोच ग्रहण कर इस स्थिति को प्राप्त हो कि उन्हें अपने जीवन से मोह ही न रहे । परीक्षा और परीक्षा परिणाम से पहले बच्चों के साथ बैठ कर बात करें और उनको विश्वास दिलाएँ कि वह उनके साथ हैं परिणाम कुछ भी हो उन्हें सिर्फ़ मेहनत करनी है । परिणाम चाहे जैसा भी आए बिना भय के परिणाम का प्रतिफल बताना है तभी हम बच्चों को गलत कदम उठाने से रोक सकते हैं ।

लेखिका
नीरू मोहन 'वागीश्वरी'

Monday, 28 May 2018

अभिभावक बनें बच्चों के दोस्त और दिशा निर्देशक

 लेख

**अभिभावक बनें बच्चों दोस्त और दिशा निर्देशक**

अभिभावक के रूप में हम सभी बहुत निष्ठुरऔर स्वार्थी होते हैं । बच्चे पास हुए नहीं कि हम सभी अपनी-अपनी सोच अभिलाषाएँ उन पर डाल देते हैं । माता-पिता चाहते हैं कि बच्चे वही बने जिसका सपना उन्होंने देखा है यहाँ पर आकर हम इतने स्वार्थी हो जाते हैं कि हम यह जानने की कोशिश ही नहीं करते कि हमारे बच्चे की रूचि किसमें है, वह क्या करना चाहता है, क्या बनना चाहता है ? बस, हमें यही उम्मीद रहती है कि अच्छे अंक लाए डॉक्टर, इंजीनियर, सॉफ्टवेयर इंजीनियर या और किसी अन्य सम्मानित पद के लिए अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाएँ ।

क्या इस प्रकार का व्यवहार करके हम अपने बच्चों की उम्मीदों और कैरियर के आगे तो नहीं आते ? क्या पता बच्चे की रुचि किसी और कार्य क्षेत्र में हो वह कुछ और बनना चाहता हो जैसे…डांसर, सिंगर, पेंटर इत्यादि । आपने कभी अपने बच्चों के साथ बैठकर उनकी इच्छा पूछी है…नहीं, क्योंकि हम बस यही चाहते हैं कि हमारा बच्चा जो हम उसे बनाना चाहते हैं वही बने । हम जबरदस्ती उस पर अपनी इच्छाएँ और उम्मीदें थोप देते हैं जिसका परिणाम यह होता है कि वह दो राही बन जाता है एक तरफ उसके स्वयं के सपने होते हैं और दूसरी तरफ माँ-बाप के सपने । उसके लिए चुनाव करना मुश्किल हो जाता है अगर हम स्वयं को उनकी जगह रख कर देखें तो शायद यह स्थिति पैदा ही न हो ।

हमें अभिभावक होने के नाते बच्चों के साथ बैठकर उनके भविष्य की भूमिका उन्हीं से लिखवानी है । उनकी रुचि उनका रुझान जानना है और उनके विचारों के साथ एकमत होकर उन का मार्ग प्रशस्त करना है न कि अपनी इच्छाएँ और अभिलाषाओं को उन पर थोपकर उनके मार्ग का बाधक बन उन्हें जीवन के पथ पर छोड़ देना है जहाँ उन्हें सिर्फ़ अंधेरा, दबाव और पराधीनता का बोध हो । हमें उन्हें उनके विचारों और सोच के साथ अपनाकर उन्हें स्वतंत्र छोड़कर उनके सही दिशा निर्देशक की भांति उनके साथ चलना है तभी हम अपने बच्चों के लिए मजबूत स्तंभ साबित हो सकते हैं जहाँ उन्हें मुश्किलों से पार उतारने का हौंसला प्राप्त हो सके ।

अभिभावक के रूप में हमें अपने बच्चों के हर फैसले का सम्मान और  स्वागत करना होगा । उनकी रुचि को लेकर आगे बढ़ना होगा और अच्छे पालनकर्ता का फर्ज़ निभाना होगा । यह समय बहुत ही कीमती है देश का भविष्य इन्हीं बच्चों से है । इस समय जब वह अपने आने वाले जीवन की रूपरेखा का निर्माण कर रहें हैं इन्हें सही दिशा निर्देश और सहयोग की जरूरत है जो उन्हें अपने माँ-बाप से ही मिल सकता है । इस समय बच्चों के मित्र बनें जिससे वह अपने मन की बात आपको बता सकें । हमें बच्चों के साथ माँ-बाप, सहयोगी, दोस्त और एक निर्देशक की भूमिका निभानी है तभी हम भविष्य में उनके सपनों को पूर्ण करने में कामयाब हो सकते हैं ।

हमारे बच्चों के सपने ही हमारे सपने हैं यही हमें सोचना है न कि हमें अपने सपनों को पूरा करवाने के लिए उन्हें एक बंधवा मज़दूर बनाना है । सपने वही सच होते हैं जो अपने होते हैं उन्हें उनके सपनों के साथ जीने का मौका दें क्योंकि अपने सपने ही सच होते हैं दूसरों के सपने तो कहानी बनकर ही रह जाते हैं तो आप अपने बच्चों के सपनों को कहानी न बनने दें बल्कि साकार रूप दें और उनके हर उचित फैसले का सम्मान करें और अनुचित फैसलों को उचित और सही रूप प्रदान कर उनके समक्ष प्रस्तुत कर उनके सहयोगी बनें ।

लेखिका

नीरू मोहन 'वागीश्वरी'

Sunday, 27 May 2018

अंक नहीँ…

[अंक नहीं जीवन का आधार – Education Mirror] is good,have a look at it! http://educationmirror.in/index.php/2018/05/27/ss-93/

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=241978203019028&id=179778675905648

Saturday, 26 May 2018

लेख अंक नहीं जीवन का आधार

12वीं कक्षा के समस्त विद्यार्थियों को परीक्षा मैं उत्तीर्ण होने की हृदय तल से बधाई ।

लेख

**अंक नहीं जीवन का आधार**

अक्सर देखा गया है कि 10वीं और 12वीं के विद्यार्थियों में परीक्षा परिणाम को लेकर बहुत भय रहता है ।
परीक्षा का परिणाम कैसे होगा ? हमें कितने नंबर मिलेंगे ? हम पास हो पाएँगे या नहीं या हमारे 100% या 95% आएँगे या नहीं और अगर मैं पास नहीं हुआ तो क्या होगा …इत्यादि ? यह इसलिए होता है क्योंकि विद्यार्थी पर घर-परिवार, शिक्षक, स्कूल सभी का दवाब रहता है कि अच्छे अंक लाने हैं और जो पढ़ाई में प्रखर होते हैं उन विद्यार्थियों से यह उम्मीद रहती है कि वह विद्यालय को 100% परिणाम दें । अभिभावकों को भी बच्चे से 100 प्रतिशत नहीं तो 97-98 % अंकों की ख्वाहिश रहती है । इन सब के चलते विद्यार्थी पर इतना दवाब आ जाता है कि वह ध्यान केंद्रीकरण नहीं कर पाता । अगर हम उन बच्चों की बात करें जो 60 % से 70% की श्रेणी वाले होते हैं उनके लिए परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य रहता है ।

100% से 90% वाले विद्यार्थियों के माता-पिता प्रशंसा का पात्र बनते हैं । बच्चों को भी स्पेशल अटेंशन दी जाती है क्योंकि उसने परीक्षा में 90% या100% अंक प्राप्त कर उन्हें गौरवान्वित किया है । माता-पिता स्कूल शिक्षक सभी उसे बधाई देते हैं और प्रशंसा करते हैं और वहाँ जो 60 से 80% अंक लेकर पास हुआ है उनको प्रोत्साहित नहीं किया जाता । माता-पिता भी उसे ऐसी कोई बधाई नहीं देते और न ही माता-पिता किसी की प्रशंसा का पात्र बनते हैं ।
ऐसा क्यों ?
क्या उसके माता पिता ने परीक्षा के समय उस पर ध्यान नहीं दिया ?
क्या शिक्षकों ने उनपर इतनी मेहनत नहीं की ?
क्या विद्यार्थी ने परीक्षा के समय मेहनत नहीं की ?
नहीं शायद नहीं ……
सभी विद्यार्थी अपना 100% देना चाहता है और देता भी है उतनी ही मेहनत विद्यार्थियों के साथ अभिभावक और शिक्षक करते हैं । सहयोग सभी का 100% रहता है । मेहनत सभी बराबर करते हैं । बौद्धिक स्तर के आधार पर विद्यार्थी का मस्तिष्क जितना ग्रहण करता है वह परीक्षा परिणाम के रूप में हमारे समक्ष प्रस्तुत हो जाता है । हमें अभिभावक के रूप में , शिक्षक के रूप में सभी विद्यार्थियों को उनकी क्षमता को देखते हुए सभी को समान रुप से प्रोत्साहित करना चाहिए तथा जो विद्यार्थी 50% न लाकर 30 या 40% प्रतिशत अंकों पर भी है उनको भी प्रोत्साहित कर उनका भविष्य के लिए मनोबल बढ़ाना चाहिए जिससे वह किसी गलत मार्ग को ना अपनाकर भविष्य हेतु मार्ग का चयन कर सकें ।
इसी पंक्ति में जो बच्चे परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो पाते उन्हें भी हतोत्साहित नहीं करना चाहिए क्योंकि अंक किसी का जीवन निर्धारित नहीं कर सकते विद्यालय स्तर पर परीक्षा पास करना और अंक लाना एक औपचारिकता है इससे हमें उन बच्चों का मनोबल कम नहीं करना चाहिए जो उत्तीर्ण नहीं हुए हैं । उन्हें पीछे मुढ़ना नहीं आगे बढ़ना सिखाना है । उन्हें समझाना है कि अभी तो उन्होंने मंजिल पर कदम ही रखा है अभी बहुत सारी मुश्किलें और रुकावटें आएंगी उनका सामना होने दृढ़ता से और संयम के करना है । उन्हें रुकना नहीं आगे बढ़ना सिखाना है क्योंकि एक छोटे कदम से ही मीलों दूर तक का सफर तय किया जाता है और अगर उस छोटे कदम पर ही हार मान ली जाए तो मीलों दूर का सफर कोई भी व्यक्ति नहीं तय कर पाता । उन्हें बताना है कि आगे और भी मुकाम है यह हारने का समय नहीं कुछ कर दिखाने का समय है एक राह में बाधा आई है मगर उनके लिए अनेकों राहें अभी खुली है उन्हें दोबारा प्रयास करना है और मंजिल को पाना है ।  उन्हें अपनी क्षमता को अंकों के आधार पर नहीं आँकना है । विद्यार्थी देश का भविष्य हैं उनको हर कदम पर हर समय हर रूप में प्रोत्साहित कर आगे का मार्ग दिखाना है न कि हतोत्साहित उनके मार्ग पर प्रश्नचिन्ह ?  ?  ? लगा कर छोड़ देना है ।

लेखिका
नीरू मोहन 'वागीश्वरी'

Thursday, 24 May 2018

हिंदी भाषा

व्याकरण प्राथमिक स्तर पर ही विद्यार्थियों की भाषा को आधार प्रदान करता है किंतु इसके लिए यह अनिवार्य है कि उसका अभ्यास निरंतर बना रहे । षष्ठी स्तर पर विद्यार्थियों को व्याकरण के नियमों का पुनराभ्यास का अवसर मिलता है इस स्तर पर विद्यार्थी भाषा को शुद्ध रूप प्रदान करने में समर्थ हो जाता है ।
किसी भी भाषा को ठीक से बोलने लिखने और पढ़ने के लिए व्याकरण का ज्ञान होना आवश्यक है । अक्सर देखा गया है कि विद्यार्थी मौखिक रूप में तो अपने विचारों को प्रकट कर लेते हैं परंतु जहाँ पर लेखन की बात आती है वहाँ पर अपने विचारों को लिखने में इतनी प्रवीणता नहीं दर्शाते जितनी की मौखिक रूप से । यह सब इसलिए होता है क्योंकि उनको ज़मीनी तौर पर भाषा ,भाषिकीय नियमों और मात्राओं का ज्ञान नहीं होता, चिन्हों के प्रयोग का ज्ञान नहीं होता । प्रारंभिक तौर पर छठी कक्षा के विद्यार्थियों के लिए निम्नलिखित व्याकरण के नियमों का ज्ञान होना आवश्यक है जिससे की वह शुद्ध वाक्य निर्माण कर सकें ।

1. मात्राओं का ज्ञान
2. मात्राओं की पहचान
ि ी   ु ू    े  ै  ो  ौ  ं  ँ   ृ 
र के रूप
रेफ / पदेन  / टवर्ग में  र का प्रयोग ट्र
3. शब्दों का शुद्घ लेखन और उच्चारण
4. वर्तनी ज्ञान, शब्दों को सही क्रम में लगाकर शुद्ध वाक्य निर्माण ।
5. वाक्य में 'कि'और 'की' का प्रयोग  6.अनुस्वार और अनुनासिक के मानक रूप
7. विसर्ग एवं आगत स्वर के मानक रूप
8. कारक के परसर्ग
9. नुक्ता वाले वर्ण
क़ ख़ ग़ ज़ फ़
10. विकारी  / अविकारी शब्द
11. शब्द भंडार
12. वाक्य रचना
13. विराम चिन्ह , उपसर्ग , प्रत्यय

Monday, 21 May 2018

नीरू मोहन 'वागीश्वरी' राष्ट्र गौरव सम्मान से सम्मानित

राष्ट्र गौरव सम्मान

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=240355976514584&id=179778675905648

राष्ट्र गौरव अवॉर्ड से सम्मानित हुई देश की 130 महान शख्सियतें

न्यूज़ by - यूथ वर्ल्ड न्यूज़

करनाल ।
     एंटी करप्शन फाउंडेशन आॅफ इंडिया द्वारा रविवार को दानवीर कर्ण की भूमि करनाल के प्रेम प्लाज़ा होटल में पुलिस के शहीदों को समर्पित एक राष्ट्रीय स्तर के भव्य समारोह का आयोजन हुआ जिसमें देश की 130 महान विभूतियों को राष्ट्र गौरव अवॉर्ड से नवाज़ा गया ।

    करनाल में आयोजित भव्य समारोह में अतिथि कें रूप में पूजनीय संत श्री रामेश्वरानंद जी महाराज ,  हरियाणा के मुख्य मंत्री की अनुजा राष्ट्रीय समाज सेवी वीना अरोड़ा, पूर्व आईजी सुमन मंजरी, हाॅलीवुड बॉलीवुड से एंकर एवं मिस इंडिया 2013 सिमरन डिंनज आहूजा, मिसेज़ यूनिवर्स अनु्पमा शर्मा ,ऑल इंडिया अचीवर्स कॉन्फ्रेश डॉयरेक्टर अभिषेक बच्चन,हरियाणा महिला आयोग की चेयरमैन प्रतिभा सुमन , एंटी करप्शन फॉउंडेशन ऑफ इंडिया के संयोजक संस्थापक नरेंद्र अरोड़ा सहित कई विशिष्ठ हस्तियों ने प्रतिभाओं को राष्ट्र गौरव अवॉर्ड से नवाजा ।

  वरिष्ठ साहित्यकारा श्रीमती नीरू मोहन 'वागीश्वरी' दिल्ली, वरिष्ठ साहित्यकारा श्रीमती मीनाक्षी सुकुमारन नोएडा , वरिष्ठ साहित्यकारा श्रीमती नीरजा मेहता गाजियाबाद , युवा साहित्यकारा डॉ सरीता सुक्ला उत्तर प्रदेश , वरिष्ठ साहित्यकारा डॉ ज्योति मिश्रा बिलासपुर , राष्ट्रीय कवयित्री डॉ निशा माथुर जयपुर , समाज सेवी गीतांजलि चक्रवर्ती , पत्रकार श्रीमती राखी शुक्ला जयपुर , समाज सेवी मनोज पुरवर दिल्ली , समाज सेवी जोगेंद्र कटारिया हरियाणा , राजेश कुमार , साहित्यकारा रागिनी त्रिपाठी गांधीनगर , दिल्ली से प्रख्यात मॉडल अंज्जु टीक्कू सहित देश की 130 महान प्रतिभाओं को राष्ट्र गौरव अवॉर्ड से नवाज़ा गया तो सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा ।
Receiving award from #Mrs_Universe_Arab_Asia_Anupama_Sharma ji, famous personality #Abhishek_Bachchan ji and social worker #Veena_Arora ji (sister of Chief Minister, Haryana)
with #Bollywood_Hollywood_Anchor_Simran_Deenz_Ahuja (filmfare, IIFA award fame)

Thank u #Narender_Arora ji 

On 20th May 2018 at Karnal


[5/25, 3:02 PM] Chetan: [साहित्यकार नीरू मोहन ‘वागीश्वरी’ राष्ट्र गौरव अवॉर्ड 2018 से सम्मानित  – Education Mirror] is good,have a look at it! http://educationmirror.in/index.php/2018/05/25/ss-88/
[5/25, 3:03 PM] Chetan: https://twitter.com/avchetan/status/999944787179573249?s=19